Why I don't identify Gandhi as mahatma?
ज्ञान ना होनें पर व्यक्ति स्वंय के लिए एक समस्या है किंतु अधुरा ज्ञान होने पर व्यक्ति समाज के लिए एक समस्या है। गांधी को गीता का अधुरा ज्ञान था। वो गीता का आधा श्लोक ही दोहराते है। जिस गीता को सुनकर अर्जुन ने महाभारत का युद्ध लडा, उस गीता को पढकर गांधी अहिंसक बन गए, कैसे? प्रत्येक व्यक्ति शांति चाहता है। कोईं भी युद्ध नही चुनता है। किंतु युद्ध आपकों स्वंय चुनता है। जब युद्ध आपकों चुनाता तो कायरों कि भांति विलाप करने का समय नही होता है। युद्ध मे या तो विजय या वीरगति, इसके अतिरिक्त और कुछ नही। गांधी का अहिंसावाद दोगला था। यदि अंग्रेजों के साथ हिंसा करना गलत तो अग्रेंजों के लिए हिंसा करने उचित कैसे? यदि गांधी अहिसां के इतने ही बडे पुजारी थे उन्होंने दोनों विश्वयुद्धों का क्यों नही बहिष्कार किया? वाह! गजब का गांधीवाद है।
गांधी ने अच्छे काम किए। राम रहीम ने भी अच्छे काम किए। राम रहीम के सर्मथक आज ही रामरहीम कि पूजा करते है, आप भी गांधी कि पुजा कीजिए।यह आपकी व्यक्तिगत समस्या है व ऐसा करने के लिए आप स्वंतत्र है किंतु मै क्यो गांधी पूजा करू? आप मुझे कैसे गांधी कि पूजा करने के लिए बाध्य कर सकते है? यह राष्ट्र तो सबका है, अतः मै तो मात्र प्रश्न पूछ रहा हूँ। आप मात्र इतना बता दीजिए गांधी राष्ट्रपिता क्यों, महात्मा क्यों? आप गांधी के राष्ट्रपिता होने, गांधी के महात्मा होने का प्रमाण दीजिए, तर्क दीजिए। मुझें इतिहास मे भ्रमित ना कीजिए, तर्क दीजिए। जहाँ "क्यों" नही होता है वहाँ अंधविश्वास होता है। आप भगवान कि पुजा करते है, क्यों? मै नही करता हूँ। क्योंकि मेरे पास "क्यों" नही है।
आजादी आई बिना खडग बिना ढाल? कैसे? तो फिर वो वीर और वीरगानाए कौन थे जो भारत कि भूमि कि स्वंत्रता मे शहीद हो गए? कौन थी वीरगानाए जिन्होंने अपने बेटों कि, अपने भाईयों कि, अपनी पतियों कि आहुतियाँ दी आजादी के यज्ञ मे? बस वो खादी नही पहनती थी, इसलिए आपने उनके बलिदान को ठुकरा दिया। वाह!
भगत सिंह को कुछ लोग आंतकवादी बोलते है। इसलिए मै पहले ही स्पष्ट कर देता हूँ कि आंतकवादी वो होता है सबके खिलाफ हो, जो मानवता के खिलाफ हो, जो अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए आमजन कि हत्याएं करे। किंतु भगत सिंह मात्र ब्रिटिशर्स के खिलाफ थे। ब्रिटिशर्स विदेशी आंक्रता थे, वो भारत सरकार नही थे। सरकार वो होती है जो जनता द्वारा च्यनित हो, जिसका जनता का सर्मथन प्राप्त हो। अब आप मुझे यह स्पष्ट कीजिए यदि भगत सिंह आंतकवादी थे तो गांधी क्या थे? डरपोक आंतकवादी। क्योंकि खिलाफ तो वो भी थे अग्रेंजों के या नही थे?
गांधी ने स्वतंत्रता सग्राम मे सर्घंष किया, उनका सघर्षं उल्लेखनीय है। उनकी विचारधारा पठनीय है किंतु अनिवार्य अनुसरणीय हो यह कहाँ तक तर्कसंगत है? क्यों बचपन से प्रत्येक बच्चे को रटवाया जाता है "दे दी तुने हमे आजादी साबरमती के संत" आखिर क्यों?
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